सोमवार, 8 दिसंबर 2008

वर्तमान परिपेक्ष्य में भारत की सुरक्षा स्थिति

जैसा की हम जानते है की अभी भारत के पाँच राज्यों में चुनाव परिणाम आ चुके है और हर जगह सिर्फ़ सत्ता में आने के हथकंडे के बारे में ही रणनीति तैयार किए जा रहे है । जबकि अभी सिर्फ़ और सिर्फ़ बारह दिन ही उस आतंकवादी घटना को हुए है जिसने देश की सुरक्षा प्रणाली को करारा झटका दिया था। तो क्या हमारे देश के आलाकमान उस घटना को भूल गए जो देश की सुरक्षा के बारे में न सोचकर और ना ही उसकी महत्ता देकर , सत्ता के जोड़ तोड़ में भीड़ चुके है। लगता है हर बार की तरह ईस बार भी इस घटना की चर्चा उसी वक्त तक होगी, जब तक की मामला ठंडा न पड़ जाए। तो ऐसे में देश की janta ख़ुद ही सोच ले की उनके देश की सुरक्षा स्थिति आतंकवादी घटना को हटाने के लिए कैसी है और इसके लिए देश के आलाकमान क्या कदम उठा रहे है।
हम यह जानते है की हमारे देश में एक से बढ़कर एक अस्त्र है जो की दुश्मन को झटका देने के लिए बहुत है , पर क्या यह आम आदमी की jindgi बचाने के लिए सही है, या आतंकवाद को vastav में हटाने की जरुरत है taki आम janta चैन की नींद सो सके।
अब यह सोच आपके हाथ है की आप कैसी सुरक्षा स्थिति चाहते है। जो की आपको चैन की नींद दे या उस तरह की सुरक्षा जो सिर्फ़ देश की शक्ति को बताये।

रविवार, 7 दिसंबर 2008

आतंकवाद पर राजनीती

आज हम आतंकवाद पर चल रहे राजनीती की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते है। मुंबई में आतंकवादी घटना के बाद श्री देशमुख जी ने यह कहकर अपना पल्ला झार लिया की ये घटना को मैं समय पर रोक नही सका इसलिए मैं कुर्सी से इस्तीफा दे रहा हू। उसके बाद सभी नेता अपने -अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु कांग्रेस आलाकमान श्रीमती सोनियागांधी के पास कुर्सी पाने के चाहत से दौर लगाना शरू कर दिया और जब इस होड़ में जिनको कुर्सी नही मिली तो वे करने लगे आतंकवादी घटना पर राजनीती। जी हाँ, ऐसे नेता देस के लिए नही बल्कि अपने लिए सोचते हैं और क्या हम ऐसे नेता पर भरोसा कर फिर देस की बागडोर उन्ही के हाथ सौंप दे।
समय की मांग यह है अब जनता को सोचना होगा की वे कैसा नेता चाहते है, जो जनता और देस के लिए सोचे या सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए।

बुधवार, 3 दिसंबर 2008

मुंबई पर हुए आतंकवादी हमला

२६/११/०८ को हुए आतंकवादी हमले ने देस को झकझोर कर रख दिया है और साथ ही देस के आलाकमानो
को एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है की अब देस की जनता सिर्फ़ वादों पर विस्वास करने वाली नही है क्योंकि ये नेता चुनावी फायदों के लिए देस के जनताओं को भी मौत के घाट उतारने से बाज नही आते। अब वह समय आ चुका है जब कुछ करके दिखाना है। आए दिन आतंकवादी घटनाये ऐसी रूप ले रही है जिसमे आम व्यक्ति की जिन्दगी खतरे से खाली नही है। और ऐसे में सिर्फ़ वादों का भरोसा काफी नही है।
यदि नेता लोग इसी तरह जनता को भरोसा देते रहे तो वो दिन दूर नही जब ये आतंकवादी आम लोगो की जिन्दगी इस तरह मौत में बदल देंगे जैसे जिन्दगी की लकीर उनके द्वारा ही बनाई गई हो। इसलिए अब वो समय आ चुका है जब जनता अपने देस का सुरक्षा ख़ुद करे और इन नेता को बताये की हम अब उनके वादों में आने वाले नही है।